Navratna of Akbar in Hindi
Mughal सम्राट Akbar ऐसे पहला राजा नहीं था, जिसने Navratana (नौ रत्न) की परंपरा शुरू की थी. Navratana का मतलब किसी साम्राज्य के बुद्धिजीवियों को सम्मानित करने की एक परंपरा थी । यह परंपरा सबसे पहले सम्राट विक्रमादित्य और कृष्णचंद के शासनकाल के दौरान शुरू की गयी थी. लेकिन Akbar Navratna निश्चित रूप से सबसे प्रसिद्ध हैं। आइए, बादशाह अकबर के मुगल दरबार और उनके नवरत्नों के बारे में जानते हैं .
Akbar ke Navratana- Abul Fazal(1551–1602)
Abul Fazl का जन्म 14 January 1551 को Agra में हुआ था . इनका पूरा नाम Abul Fazl Ibn Mubarak था .इनके पिता जी का नाम Shaikh Mubarak Nagori था .अबुल फजल अपने तेज दिमाग और अकबर के नवरतन में से एक थे . वह साहित्य, इतिहास ,और Phiolsphy के विद्वान थे। कोई भी उसके साथ बहस करने में योग्य नहीं था। एक विद्वान, इतिहासकार और लेखक होने के अलावा, वह एक योग्य Rajdoot और Commander भी थे। उन्होंने अकबरनामा और ऐन -इ -अकबरी नामी उपहार रचना की थी. Abul Fazl की हत्या सलीम ने Veer Singh Bundela के द्वारा करवाई थी .
Akbar ke Navratana — Raja Todarmal(1500–1589)
Akbar Navratan , Raja Todarmal (Pic: dewantodarmal )
Raja Todarmal का जन्म 1 January 1500 को Laharpur (Uttar Pradesh) में हुआ था . Raja Todarmal को वित्तीय मामलों में काफी अनुभव था। इसी कारण अकबर उनसे विशेष रूप से प्रभावित हुआ। इस कारण से, अकबर ने उन्हें अपना वित्त मंत्री बनाया। Akbar के शासनकाल के दौरान, भूमि सुधार, और भूमि राजस्व प्रणाली में किए गए महत्वपूर्ण सुधार, राजा टोडरमल dubara hi kiye gaye थे। वह राजा टोडरमल थे, जिनके द्वारा दुनिया का पहला, भूमि माप और लेखा प्रणाली तैयार किया गया था। इनकी मौत 8 November 1589 को लाहौर में हुई थी .
Navratna of Akbar -Raja Birbal (1528–1586)
Raja Birbal का जन्म 1528 को Madya Pradesh में हुआ था . उनका असली नाम Mohandas था . बीरबल अपनी चतुराई, और वफादारी के कारण अकबर के पसंदीदा Ratan थे। वह akbar के मुख सलाहकार थे . unke बारे में कहा जाता है, कि Unme हास्य के अद्भुत गुण और प्रति-प्रतिक्रिया थी। बीरबल से प्रभावित होकर, अकबर ने उन्हें न्याय विभाग के उच्च स्तर पर नियुक्त किया था। अपनी प्रतिभा के लिए, बीरबल को राजा की उपाधि से भी सम्मानित किया गया.विशेषज्ञों के अनुसार, साल 1586 में birbal युसुफ़ जायिस के खिलाफ लड़ते हुए मारा गया था, जिसकी खबर सुनकर अकबर बहुत दुखी हुआ था।
Abdurrahim Khan Khana
Rahim को बादशाह Akbar का सबसे खास माना जाता था.अब्दुर्रहीम ख़ानखाना को akbar के Darbar में एक उच्च कोटि विद्वान, और कवि के रूप में गिना जाता था। वह अकबर के Shayak बैरम खान के बेटे थे . उन्हें विभिन्न भाषाओं में काफी जानकार माना जाता था। उन्होंने Turki भाषा में लिखे Babarnama को फारसी भाषा में Trasnlate किया था . गुजरात को जीतने के बाद, अकबर ने रहीम को ख़ानखाना की उपाधि से सम्मानित किया। रहीम के दोहे, आज भी हिंदी साहित्य में एक विशेष स्थान रखते हैं।
Raja Maan Singh (1550–1614)
Raja Maan Singh अपनी बुद्धिमत्ता, साहस और उच्च वंश के Rajpot Raja थे .राजा मान सिंह Akbar के मुख्य सेनापति भी थे। Akbar राजा Maan Singh के काम और व्यवहार से बहुत Khush था. वह उसे कभी-कभी Mirza Raja के रूप में फरजंद (पुत्र) के रूप में बुलाता था। haldighati Yudh में Raja Mann singh ने राजपूतो के खिलाफ अहिम योगदान दिया था .
Akbar ke Navratna — Tansen(1493/1500–1586)
संगीत Samrat Tansen का जन्म की तारीख का पक्का पता नहीं है पर उनका जन्म Gwalior में हुआ था . Akbar Navratna में Tansen का स्थान विशेष माना जाता था। एक संगीतकार और गायक होने के साथ-साथ, वह एक वादक भी थेअकबर के नवरत्नों में से एक, Abul Fazal उनके Sangeet से इतने प्रभावित थे . इसलिए उन्होंने अकबर को सुझाव दिया कि Tansen को Darbar का Navratna होना चाहिए। अकबर एक संगीत और कला प्रेमी था. लेकिन जब उसने तानसेन का संगीत सुना, तो वह मंत्रमुग्ध हो गया और उसे “मियां” की उपाधि से सम्मानित किया। . हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक थे. उन्हें उनकी ध्रुपद रचनाओं के लिए भी याद किया जाता है. जिसमें कई नए राग शामिल थे.
अकबर ke नवरत्न — Abul Faizi (1547–1595)
Abul Faizi Abul Fazal का छोटा भाई था । उन्हें फ़ारसी भाषा की अच्छी समझ थी . वह फ़ारसी में कविता लिखा करता था । Raja अकबर ने उसे अपने बेटों के गणित शिक्षक के में नियुक्त किया था . के दरबार में, कवि के रूप में था, और साथ ही Akbar के दरबार mein कवि के पद पर थे। विशेषज्ञों के अनुसार, उन्हें अकबर द्वारा शुरू किए गए दीन-ए-इलाही का एक बड़ा समर्थक माना जाता था। फ़ारसी भाषा में, उन्होंने 100 से अधिक महत्वपूर्ण काव्य कार्यों में योगदान दिया था .
Akbar Navratna — Mulla Do-Piyaza (1527–1620)
Mulla Do-Pyaja अपनी कड़ी मेहनत के साथ अकबर को प्रभावित किया था. वह अरब के निवासी था । वह हुमायूँ के शासनकाल के दौरान भारत आए था . उनका असली नाम अब्दुल हसन था। ऐसा कहा जाता है कि वह एक सामान्य जीवन जीने में दिलचस्पी नहीं रखते थे.अकबर के दरबार में शामिल होना चाहते थे। उन्हें शाही परिवार के लिए मुर्गीखाना को प्रबंधन का प्रभार मिला .जहां उन्होंने मुर्गियों को खिलाने के लिए शाही परिवार के बचे हुए भोजन का इस्तेमाल किया।
यह देखकर अकबर बहुत प्रभावित हुआ, और उसे शाही परिवार के पुस्तकालय का प्रभारी भी बनाया गया। लेकिन, मुल्ला को कुछ और चाहिए था, और इस कारण से, उसने कड़ी मेहनत की, और पुस्तकालय में बहुत सारे बदलाव किए, जिससे अकबर एक बार फिर खुश हो गया। वह शाही परिवार में अपनी जगह स्थापित करने में कामयाब रहे। इसी कारण Mulla Do Pyaja को Akbar Navratna से नवाज़ा गया .लोकथाओं के अनुसार, मुल्ला बीरबल का प्रतिद्वंद्वी था, और वह उससे बहुत ईर्ष्या करता था। लेकिन विशेषज्ञ इन लोक कथाओं को काल्पनिक मानते हैं। मुल्ला को खाने में दो प्याज़ पसंद थे . इसलिए अकबर ने उनका नाम मुल्ला दो पियाजा रख दिया.
Hakim Humam (1508–1572)
Hakim Humam सम्राट akbar के दरबार का मुख्य सलाहकार और रसोई घर के प्रधान था.